आयुर्वेद में बताया गया कि यदि दवाईयां किन-किन सावधानियों के साथ ली जाती है तो फायदेमंद है नहीं तो वो आपका नुकसान भी कर सकती हैं।
आइए जानते हैं आयुर्वेदिक दवाईयों के उपयोग से पहले की सावधानियां
इसके बारें में आयुर्वेद में कुछ नियम है जो हमारे आयुर्वेदिक शास्त्रों जैसे सुश्रुत संहिता और चरक संहिता आदि में दिए गए है। जब कोई रोगी, कोई दवाई लेता है तो उसें रोग, बल और आयु इन तीजों का ध्यान रखना जरूरी है। इसका अर्थ ये है कि एक जैसी बीमारी होने के बावजूद भी दो व्यक्तियों की दवाएं, उनके बल, आयु और तासीर के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए खुद बाजार से दवाई लाने से बेहतर हैं कि पहले किसी वैद्य से या डाक्टर से सलाह जरुर लें।
1. आयुर्वेद के अनुसार दो रोगियों को एक जैसी दवाई नहीं दी जा सकती हैं
जैसे दो व्यक्ति हैं और दोनों व्यक्तियों को एक ही बीमारी हैं और उस बीमारी की दवाई भी एक है तो जरुरी नहीं है कि दवाई, दोनों व्यक्ति को एक ही दी जाए। यदि एक ही दवाई दोनों व्यक्तियों को दी भी जा रही है तो हो सकता कि उनकी दवाई की मात्रा में अंतर हो। इसमें दूसरी जरूरी बात यह है कि जब कोई दवाई दी जाती है तो जरूरी नहीं है कि हर दवाई 12 महीने दी जा सके। एक जैसी दवाई खाना आपको नुकसानदायक दायक हो सकती है। अत: वैघ के अनुसार दवाई लें।
2. ऋतु के अनुसार दवाईयों का करें उपयोग
आयुर्वेद में कई जगह यह भी बताया गया है कि मौसम ( ऋतु ) का विचार कर दवाई देनी चाहिए। आयुर्वेद में बहुत सारी ऐसी दवाईया होती हैं जो खासतौर से सर्दियों में लेने से मना किया जाता है और कुछ दवाईया ऐसी भी होती हैं जिनकी तासीर गर्म होती है तो इन्हें गर्मियों में लेने से मना किया जाता है। हमें वैघ के परामर्श अनुसार दवाई खानी चाहिए।
3. रोगी को कब्ज और अपच नहीं होना चाहिए
यदि रोगी को कब्ज, अपच पेट से सम्बंधित यदि कोई बीमारी है तो पहले उसे किसी आयुर्वेदाचार्य के द्वारा इन चीजों पर ध्यान देना जरूरी है। अगर किसी रोगी को कब्ज की समस्या है या पाचन क्रिया सही नहीं है तो दवाईयां अपना पूरा फायदा रोगी को नहीं पहुंचा पाएंगी।
4. हमे शरीर की प्रकृति को समझना बहुत जरूरी है
आयुर्वेदिक में ऐसी बहुत सारी दवाईया हैं जिनका लोग उपयोग करना चाहते हैं। जैसे सर्दियों में अश्वगंधा का प्रयोग हर कोई करना चाहता है। जिससे शारीरिक बल बढ़ता है ताकत आती है, लेकिन जरूरी नहीं है कि यह सब को लाभप्रद हो। उसका कारण ये हैं कि किसी व्यक्ति की पित्त प्रकृति है और वो अश्वगंधा का उपयोग करता है तो उसके शरीर में केवल पित्त की वृद्धि होगी। उसका शारीरिक बल बढ़ना तो दूर कब्ज, एसिडिटी, अम्ल पित्त बनना शुरू हो जाएगा और उसको नुकसान होगा। इसके लिए आपको प्रकृति का ज्ञान बहुत जरूरी है।
निष्कर्ष
ये जरूरी नहीं हर दवाई आपके लिए लाभदायक हो। यदि कोई दवाई की आपको जरूरत है तो पहले प्रकृति के अनुसार उपचार लें फिर दवाइयों का उपयोग करें। यदि आपकों कफ है तो आपको ठंडी दवाइयां नहीं दी जा सकती है, अगर आपकों कोई ऐसी दवाई दी जानी है पहले कफ का उपचार किया जायेगा, फिर आपको ठंडी दवाईयां दी जाती हैं। इनमें से कुछ दवाईयां उष्ण होती है, और आपके शरीर में पित्त बनता है तो पहले आपको अपने पित्त का उपचार कराना जरूरी है उसके बाद ही दवाईया लें।

.jpg)
.jpg)

.jpg)

0 Comments