क्या हो अगर किसी की सूंघने और चखने की शक्ति अचानक चली जाए? ये दोनों समस्याएं किसी के साथ भी और उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकती हैं। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सामान्य सर्दी, सांस संबंधी समस्या या विटामिन की कमी सबसे आम है । अगर समय के साथ-साथ कोई इन परेशानियों की चपेट में आ रहा हैं और भविष्य में इनके नकारात्मक प्रभाव से बचना चाहता है, तो ऐसे में यह लेख काफी मददगार होगा। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति को ठीक करने के सबसे सटीक घरेलू उपाय बता रहे हैं। हालांकि, इसके साथ ही यह समझना जरूरी है कि घरेलू उपाय इस समस्या में राहत पहुंचा सकते हैं। पूर्ण उपचार डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।
गंध और स्वाद किस प्रकार काम करते हैं? – How Do Smell And Taste Work in Hindi
गंध और स्वाद इंद्रियां आपस में जुड़ी होती हैं। उम्र के हिसाब से इन इंद्रियों में बदलाव आ सकता है, जिससे किसी भी व्यक्ति को गंध या स्वाद में बदलाव या कमी का अनुभव हो सकता है। दरअसल, गंध और स्वाद इंद्रियां मनुष्य के रसायन विज्ञान प्रणाली का ही एक हिस्सा हैं। आसपास की चीजों को सूंघने की क्षमता विशेष सेंसरी कोशिकाओं से आती हैं, जिसे ओल्फेक्ट्री सेंसरी न्यूरॉन्स कहा जाता है। ये नाक के अंदर टिशू के एक छोटे से भाग में पाए जाते हैं। इनमें से प्रत्येक ओल्फेक्ट्री न्यूरॉन्स में एक गंध रिसेप्टर होता है, जो आसपास के पदार्थों द्वारा जारी सूक्ष्म अणुओं (माइक्रोस्कोपिक मॉलिक्यूल्स) द्वारा उत्तेजित होता है। गंध दो मार्गों के माध्यम से ओल्फेक्ट्री रिसेप्टर्स तक पहुंचती है। पहली नासिका के माध्यम से और दूसरी एक चैनल के माध्यम से, जो गले के ऊपरी हिस्से को नाक से जोड़ता है। भोजन की सुगंध को इस चैनल के माध्यम से महसूस किया जाता है ।
वहीं स्वाद को पहचाने की क्षमता की बात करें, तो इस काम में स्वाद की पहचान करने वाली कोशिकाएं काम करती हैं, जो जीभ से होकर गुजरती हैं। इन्हें ‘गस्टोरी रिसेप्टर’ के नाम से भी जाना जाता है। गस्टोरी रिसेप्टर्स सेल्स टेस्ट बड (जीभ की ऊपरी सतह पर मौजूद उभारनुमा आकृति का भीतरी हिस्सा) में मौजूद होती हैं। टेस्ट बड में मुख्य रूप से पांच अहम और बड़े टेस्ट शामिल होते हैं|
जीभ के जरिए मस्तिष्क संकेत प्राप्त करता है और उन्हें अलग-अलग स्वादों में बांटता है। स्वाद इंद्रियां अन्य इंद्रियों जैसे सूंघने और मस्तिष्क के कार्यों से भी जुड़ी हो सकती हैं ।
पढ़ते रहें लेख
नीचे जानिए स्वाद और सूंघने की शक्ति को प्रभावित करने के विभिन्न कारणों के बारे में।
स्वाद और सूंघने की शक्ति कमजोर होने के कारण – What causes the loss of taste and smell in Hindi
स्वाद और सूंघने की शक्ति कमजोर होने के कारण कई हो सकते हैं। आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि सूंघने की शक्ति कमजोर होने के कारण –
चलिए, अब स्वाद चले जाने के कारण जान लेते हैं –
स्वाद के बिगड़ने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं –
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साइनस या खोपड़ी की सर्जरी
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धूम्रपान (विशेषकर पाइप या सिगार धूम्रपान)
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मुंह, नाक या सिर में चोट लगना
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मुंह का सूखापन
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मसूड़े की सूजन
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विटामिन-बी12 की कमी
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जिंक की कमी
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कुछ दवाएं जैसे- थायराइड ड्रग्स, कैप्टोप्रिल, ग्रिसोफुल्विन, लिथियम व पेनिसिलिन आदि।
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अल्जाइमर रोग या पार्किंसंस रोग
बने रहें हमारे साथचलिए, अब हम गंध और स्वाद को ठीक करने के घरेलू उपाय के बारे में जान लेते हैं।
गंध और स्वाद को ठीक करने के घरेलू उपाय – Home Remedies To Treat
Loss Of Smell And Taste in Hindi
अगर किसी के मन में यह सवाल हो कि मुंह का टेस्ट कैसे ठीक करें, तो यहां हम क्रमवार गंध और स्वाद को ठीक करने के घरेलू उपाय बता रहे हैं। इनके माध्यम से इस बात को आसानी से समझा जा सकता है। गंध और स्वाद ठीक करने के यह घरेलू नुस्खे कुछ इस प्रकार हैं –
1. अरंडी का तेल
सामग्री :
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एक चम्मच गर्म कोल्ड-प्रेस्ड कैस्टर ऑयल
उपयोग करने का तरीका :
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अरंडी के तेल की एक-एक बूंद अपनी दोनों नाक की नलियों में डालें।
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इस प्रक्रिया को दिन में एक बार और रात में एक बार दोहराया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद :
अरंडी का तेल फ्लू, सर्दी और सूजन में मददगार साबित हो सकता है । एक अन्य शोध के मुताबिक, अरंडी के तेल में एंटी माइक्रोबियल गुण (बैक्टीरिया से लड़ने वाला) और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण (सूजन को कम करने वाला) होते हैं। इन गुणों के कारण यह तेल कई संक्रमणों से भी बचाने में भी मदद कर सकता है । ऐसे में यह कहा जा सकता है कि अगर बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण या फिर सामान्य सर्दी की वजह से स्वाद और गंध से जुड़ी समस्या होती है, तो अरंडी का तेल मददगार साबित हो सकता है।
2. लहसुन
सामग्री :
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लहसुन की दो-तीन कलियां बारीक कटी हुईं
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एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका :
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पानी को एक बर्तन में गर्म करने के लिए रखें।
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अब इसमें कटे हुए लहसुन को डालें और कुछ मिनट तक पानी को उबलने दें।
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अब पानी को छान लें और हल्का ठंडा होने पर चाय की तरह पिएं।
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यह प्रक्रिया दिन में दो बार दोहराई जा सकती है।
कैसे है फायदेमंद :
सूंघने और मुंह के स्वाद के लिए लहसुन के फायदे भी उपयोगी हो सकते हैं। दरअसल, लहसुन एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, सर्दी, फ्लू और सांस संबंधित समस्याओं को भी कम करने में लहसुन उपयोगी साबित हो सकता है । एक शोध से पता चलता है कि लहसुन अल्जाइमर से भी बचाव करने में भी मदद कर सकता है । बता दें कि सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति के कमजोर होने के पीछे का एक कारण अल्जाइमर रोग को भी माना जाता है । इसके अलावा, सामान्य सर्दी, फ्लू, सांस संबंधी समस्या या सक्रमंण के कारण मुंह का स्वाद और सूंघने की शक्ति प्रभावित होती है। ऐसे में लहसुन का उपयोग मददगार माना जा सकता है।
3. अदरक
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
जैसा कि हमने लेख के शुरुआत में बताया कि सामान्य सर्दी, फ्लू, एलर्जी या किसी प्रकार का संक्रमण सूंघने और मुंह के स्वाद को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अदरक का सेवन फायदेमंद हो सकता है। एक रिसर्च के अनुसार, अदरक का इस्तेमाल आम सर्दी, फ्लू व एलर्जी जैसे लक्षणों को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो सूजन से बचाने में मदद कर सकता है । इस आधार पर अदरक का इस्तेमाल गंध और स्वाद को ठीक करने के घरेलू उपाय के तौर पर किया जा सकता है।
4. लाल मिर्च
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
लाल मिर्च खोए हुए स्वाद और गंध को वापस लाने में मदद कर सकती है, क्योंकि इसमें कैप्साइसिन होता है। कैप्साइसिन नॉन-एलर्जी राइनाइटिस (गंभीर रूप से नाक का बंद होना या बहना) की समस्या में मददगार हो सकता है । वहीं, नाक बंद होने के कारण भी सूंघने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिसका जिक्र हमने लेख में पहले ही किया है। इसके अलावा, कैप्साइसिन में सूजन को कम करने के प्रभाव भी मौजूद होते है। साथ ही यह लार के स्राव को भी उत्तेजित कर सकता है । मुंह का सूखापन भी स्वाद से जुड़ी समस्या का एक कारण माना जाता है । इसके अलावा, बात करें शहद की, तो शहद का इस्तेमाल एलर्जिक रायनाइटिस से राहत दिलाने में मदद कर सकता है, जिसमें एलर्जी के कारण बंद नाक की समस्या हो सकती है । इस आधार पर कहा जा सकता है कि लाल मिर्च और शहद का सेवन गंध और स्वाद को ठीक करने के घरेलू उपाय के तौर पर उपयोगी साबित हो सकता है।
5. नींबू
सामग्री:
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, नींबू का उपयोग एलर्जिक राइनाइटिस से होने वाली समस्या जैसे- एलर्जी के कारण नाक में होने वाली सूजन से राहत दिला सकता है । इसके अलावा, नींबू और शहद का मिश्रण शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव प्रदर्शित करता है, जो बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाली सांस संबंधी समस्याओं से बचाने में मदद कर सकता है । एक अन्य रिसर्च के मुताबिक, नींबू का इस्तेमाल ओलफैक्टोरी डिसऑर्डर (olfactory disorders) यानी सुंघने की क्षमता में सुधार कर सकता है। इस शोध में इस बात का साफ तौर से जिक्र मिलता है कि कैंसर के इलाज के बाद अक्सर सूंघने की क्षमता में कमी देखी जाती है। ऐसे में नींबू की महक का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है । वहीं बंद नाक, सांस संबंधी संक्रमण और ओलफैक्टोरी डिसऑर्डर स्वाद और गंध की समस्या के मुख्य कारणों में शामिल हैं । इस आधार पर माना जा सकता है कि शहद और नींबू के पानी के साथ उपयोग इस समस्या में सहायक हो सकता है।
6. शहद
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से इस बात की जानकारी मिलती है कि शहद एलर्जिक रायनाइटिस (एलर्जी के कारण नाक में होने वाली सूजन की समस्या) से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। वहीं, एलर्जिक रायनाइटिस के लक्षण में बंद नाक की समस्या भी शामिल है, जिससे राहत पाने में शहद कारगर हो सकता है । वहीं, शहद एंटी बैक्टीरियल प्रभाव से भी समृद्ध होता है, जो बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाली सांस संबंधी समस्या में कुछ हद तक कारगर साबित हो सकता है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि अगर नाक से जुड़ी एलर्जी या फिर किसी संक्रमण के संपर्क में आने के कारण सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति कमजोर हो जाती है, तो ऐसे में शहद का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है।
7. सेब का सिरका
सामग्री :
उपयोग करने तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
मुंह का स्वाद और नाक में सुगंध न आने के उपचार में सेब के सिरके के फायदे भी सहायक हो सकते हैं। दरअसल, सेब के सिरके से जुड़े एक शोध से पता चलता है कि सेब के सिरके में एंटीबायोटिक (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) और एंटीइंफ्लेमेट्री (सूजन को कम करने वाला) गुण पाया जाता है। यह दोनों गुण श्वसन संबंधी समस्या को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। वहीं लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि श्वसन संबंधी समस्या के कारण स्वाद और गंध न आने की परेशानी हो सकती है । ऐसे में सेब के सिरके का सेवन श्वसन संबंधी समस्या के कारण गंध और स्वाद चले जाने की स्थिति में लाभकारी माना जा सकता है।
8. ऑयल पुलिंग
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
ऑयल पुलिंग के फायदे भी सूंघने और मुंह के स्वाद को ठीक करने में देखे जा सकते हैं। दरअसल, ऑयल पुलिंग ओरल हेल्थ को बढ़ावा देता है, जिससे मुंह में मौजूद दुर्गंध से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों और रोगाणुओं को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा ऑयल पुलिंग इंद्रियों को मजबूत करने के लिए सहायक माना जाता है। यही नहीं, गले में खराश, शुष्क चेहरा और स्वाद हानि में भी ऑयल पुलिंग की प्रक्रिया फायदेमंद हो सकती है ।
9. अजवाइन
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
जीभ का स्वाद चले जाने और नाक से सुगंध न आने के उपचार में अजवाइन के फायदे भी उपयोगी हो सकते हैं। जैसा कि हमने लेख में बताया कि सामान्य सर्दी, फ्लू या फिर गले में सूजन के कारण सूंघने या स्वाद लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वहीं एक शोध के मुताबिक, सर्दी, फ्लू, कफ, बंद नाक और सूजन संबंधी समस्याओं को कम करने में अजवाइन के बीज मददगार साबित हो सकते हैं (21)। ऐसे में अगर आजवाइन का सेवन किया जाए तो स्वाद और गंध से संबंधित समस्या को सुधरने में मदद मिल सकती है।
10. दालचीनी
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
एक रिसर्च के मुताबिक, दालचीनी का उपोयग घरेलू उपाय के तौर पर बहुत लाभकारी हो सकता है। दरअसल, सर्दी, जुकाम खांसी और साइनस से राहत दिलाने में यह काफी कारगर माना जाता है। यही नहीं, इसमें एंटी फंगल (फंगस से लड़ने वाला), एंटी बैक्टीरियल (बैक्टीरियाओं से बचाने वाला) और एंटी वायरल (वायरल संक्रमण को रोकने वाल) गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा दालचीनी अल्जाइमर रोग के विकास को रोकने में भी मदद कर सकती है । ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि दालचीनी का उपयोग संक्रमण, जुकाम या फिर साइनस के कारण प्रभावित मुंह के स्वाद या सूंघने की क्षमता को ठीक करने में मदद कर सकता है।
11. पिपरमिंट
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
सर्दी जुकाम, फ्लू, साइनस या फिर संक्रमण इन सभी कारणों से सूंघने और मुंह के स्वाद लेने की शक्ति कमजोर हो सकती है। ऐसे में अगर पिपरमिंट और शहद के मिश्रण का सेवन किया जाए, तो इसमें सुधार देखे जा सकते हैं। दरअसल, एक शोध की मानें तो, पिपरमिंट की पत्तियां एंटी बैक्टीरियल गुण से समृद्ध होती हैं। इस कारण यह बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा यह सर्दी, फ्लू, बुखार, साइनस और ग्रासनली में होने वाली समस्याओं को कम करने में मदद कर सकती है । इसके अलावा इसमें मौजूद मेथनॉल एंटीइंफ्लेमेटरी गुण से भी समृद्ध होता है, जो सूजन को कम करने में प्रभावी हो सकता है। चूंकि यह सभी स्वाद और गंध को प्रभावित करने वाले कारणों में शामिल हैं, इसलिए पिपरमिंट के उपयोग को भी स्वाद और गंध से जुड़ी समस्या में लाभकारी माना जा सकता है।
12. करी पत्ता
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
एक शोध से पता चलता है कि करी पत्ता एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होता है, जो सूजन और बैक्टीरियाओं के कारण होने वाली समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकता है । इसके अलावा अगर करी पत्ते का उपयोग अल्जाइमर रोग में भी प्रभावी पाया गया है । वहीं संक्रमण और अल्जाइमर की समस्या के कारण भी स्वाद और गंध महसूस करने की क्षमता कमजोर हो सकती है। ऐसे में माना जा सकता है कि ऊपर बताई गई समस्याओं के लक्षणों में सुधार करके स्वाद और सुगंध की क्षमता को सुधारने में करी पत्ता उपयोगी साबित हो सकता है।
13. नीलगिरी का तेल
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक रिसर्च पेपर के अनुसार, निलगिरी के तेल में एउकल्यप्टॉल (Eucalyptol) नाम का एक तत्व मौजूद होता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी गुण (सूजन को कम करने वाल) प्रदर्शित करता है। यह प्रभाव ऊपरी और निचले वायुमार्ग में सूजन के कारण होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है । इसके अलावा, नलगिरी का तेल वायरल इंफेक्शन के कारण होने वाली सांस संबंधी समस्याओं (जैसे:- बंद नाक) में भी आराम दिला सकता है । वहीं लेख में पहले ही बताया है कि सांस संबंधित रोगों और वायरल संक्रमण के कारण भी सूंघने और स्वाद की इंद्रियां प्रभावित हो सकती हैं। इस आधार पर संक्रमण और सांस संबंधी समस्याओं के कारण जीभ का स्वाद और सुंगध को पहुंचने वाली क्षति को कम करने में निलगिरी तेल का उपयोग लाभकारी माना जा सकता है। यही कारण है कि जीभ का स्वाद चले जाने और नाक से सुगंध न आने के उपचार में नीलगिरी के तेल के फायदे देखे जा सकते हैं।
14. विटामिन
सामग्री :
उपयोग करने का तरीका :
कैसे है फायदेमंद :
खाने में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन (जैसे- मछली, अंडे की जर्दी, दूध) या फिर डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी को सप्लिमेंट के तौर पर भी लेकर सुगंध न आने की समस्या से बचाव किया जा सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध से पता चलता है कि विटामिन डी की कमी से सूंघने की इंद्रियां कमजोर हो सकती है। ऐसे में विटामिन डी का सेवन इस समस्या में कुछ हद तक राहत पहुंचा सकता है ।
और भी है कुछ खास
लेख के इस भाग में हम सूंघने और मुंह के स्वाद के लिए आहार संबंधी कुछ सलाह दे रहे हैं।
सूंघने और मुंह के स्वाद के लिए आहार Diet Tips for Loss Of Smell And Taste in Hindi
जब स्वाद और गंध की इंद्रियां कमजोर हो जाती हैं, तो सभी पसंदीदा व्यंजनों के स्वाद एक जैसे लगते हैं। इन परिवर्तनों से निपटने के लिए यहां हम कुछ बेहतर आहार संबंधी सलाह दे रहे हैं। सूंघने और स्वाद से जुड़ी समस्या में जो खाद्य सहायक हो सकते हैं, वो कुछ इस प्रकार हैं : ।
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यहां हम मुंह का स्वाद और नाक में सुगंध न आने का उपचार बता रहे हैं।
गंध और स्वाद ठीक करने कके लिए उपचार Treatment for Loss Of Smell And Taste in Hindi
मुंह का स्वाद जाना और नाक में सुगंध न आने का उपचार एक ओटोलरींगोलॉजिस्ट (कान, नाक, गले, सिर और गर्दन के रोगों का विशेषज्ञ) द्वारा किया जाता है । इसके लिए ओटोलरींगोलॉजिस्ट नाक में सुगंध न आने का उपचार करने के लिए निम्न तरीकों को इस्तेमाल में ला सकता है।
(i) पॉलिपेक्टॉमी प्रोसेड्यूर – इस तकनीक का उपयोग आमतौर पर कोलोनिक पॉलीप्स (असामान्य टिशू का बढ़ना) को हटाने के लिए किया जाता है ।
(ii) पैनसाइनस प्रोसेड्यूर – इस प्रक्रिया के द्वारा स्फेनॉइड साइनस (नाक और आंख के पीछे की हड्डी) और फ्रॉन्टल साइनस (आंख और फॉरहेड के पीछे का साइनस) को खोला जाता है ।
पढ़ते रहें लेख
लेख के अंत में गंध और स्वाद को ठीक करने के कुछ टिप्स बता रहे हैं।
रोकथाम के उपाय – Prevention Tips for Loss Of Smell And Taste in Hindi
जीभ का स्वाद चले जाने और नाक से सुगंध न आने के उपचार जानने के बाद यहां हम इससे बचाव के लिए कुछ टिप्स भी बता रहे हैं :
स्वाद और गंध हर मनुष्य के जीवन का हिस्सा होता है। इन इंद्रियों में आए असंतुलन को ठीक करने के लिए आप लेख में बताए गए उपायों को अपना सकते हैं। इसके साथ ही खानपान संबंधी सावधानियों का भी पालन करना जरूरी है। लेख में कई आहार विकल्प भी दिए गए हैं, जिन्हें दैनिक जीवन में जगह देकर इस समस्या की रोकथाम में मदद मिल सकती है। मगर, यह जरूर ध्यान रखें कि लेख में शामिल उपाय केवल इस समस्या में राहत पहुंचा सकते हैं। पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है। इसलिए यदि घरेलू उपायों से कोई फर्क नहीं दिखाई पड़ता है तो बिना देर किए डॉक्टर से सम्पर्क करें। उम्मीद है, सभी को यह लेख पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य विषयों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।

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